मोहब्बत


अगर देखा जाए तो
मेहरबा हमारा इतना भी बेफ्रिक नहीं।

रुलाइयां देता है तो अटखेलियों के मौके भी,
मुश्किलें हजारों दी हैं तो अपनों का साथ भी।

फकीरी की चादर दी है तो आगे बढ़ने के लिए ज्ञान भी,
अनजानों से रुसवाई दी है तो खुद से मोहब्बत भी।

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