Akela | अकेला | Alone – When you feel ditched
आज की ये कविता उन लोगों के लिए जो खुद को अकेला समझ रहे हैं, खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
कविता, एक माध्यम है दिल के जज़्बातों को शब्दों के द्वारा बाहर लाने के लिए। उम्मीद है, ये कविता पढ़ कर कोई इससे खुद को जोड़ पायेगा। ऐसा हो जाये, तो मैं आपको यकीन दिलाना चाहूंगी कि आप अकेले नहीं हैं, जो इस भावना के सागर में बह रहे हैं। हज़ारों लोग, ऐसी ही परीक्षाओं से गुजर रहे हैं। इसीलिए खुद को अकेला मत समझिये। आपका यह समय सिर्फ एक अवस्था है, जो बीत जाएगी।
तन्हाई की सड़क पर अब मैं अकेला ही रह गया हूं । निकला था साथ में कारवां, अब मैं खुद ही जैसे कश्ती का मुसाफिर और खवैया बन गया हूं। अपनों ने कहा था कि साथ निभाएंगे, वादा किया था कि कभी अकेला ना छोड़ जाएंगे| पर वादे भी उनके उनकी तरह नकली निकले, बीच रास्ते, मुश्किलों के बीच, हाथ छोड़, सब चलते बने ।