मन करता है…
सुबह की ओस बन, तेरे आंगन में आ जाने का मन करता है| बारिश की बूंद बन, तेरे गालों को छू जाने का मन करता है| तू किस कदर ज़रूरी बन चुका है मेरे लिए, ये सब तुझे आज बता देने का मन करता है|
सुबह की ओस बन, तेरे आंगन में आ जाने का मन करता है| बारिश की बूंद बन, तेरे गालों को छू जाने का मन करता है| तू किस कदर ज़रूरी बन चुका है मेरे लिए, ये सब तुझे आज बता देने का मन करता है|