उम्मीद
तेरे लिखे खतों का अंबार लगाए बैठै हैं| तेरी हर याद को मन में संजोए बैठै हैं| तू वापिस आएगी! इस उम्मीद में, आज भी, चौखट पर आंखे टिकाएं बैठै हैं।
तेरे लिखे खतों का अंबार लगाए बैठै हैं| तेरी हर याद को मन में संजोए बैठै हैं| तू वापिस आएगी! इस उम्मीद में, आज भी, चौखट पर आंखे टिकाएं बैठै हैं।
सुबह की ओस बन, तेरे आंगन में आ जाने का मन करता है| बारिश की बूंद बन, तेरे गालों को छू जाने का मन करता है| तू किस कदर ज़रूरी बन चुका है मेरे लिए, ये सब तुझे आज बता देने का मन करता है|