क्या करें
सालों साल बीत गए, आंखों के आसूं भी अब सूख गए, बाहरी जिंदगी जीना तो हम सीख गए, पर अंदर से हम बिलकुल ही टूट गए, उम्मीद भी अब हमसे किनारा कर रही! समझदारों की इस दुनिया में… एक हमीं को पागल साबित करने पर तुल रही! हो सके तो एक बार इतना बता जाना,…