वो सब कुछ, हम कुछ भी नहीं।

वो फूलों का राजा गुलाब ही सही, हम फूलों पर मंडराते भंवरे। वो चांद की चांदनी ही सही, हम चांदनी को तरसते अमावस की रातें। वो जग को नचाते नटराज ही सही, हम पैरों में उनके लिपटे घुंगरू ही सही।

आई है एक ऐसी विपत्ति

आई है एक ऐसी विपत्ति, जो किसी कल्पना से भी परे है| ना किसी एक देश विशेष से संबंधित, वरन् पूरे विश्व पर आन पड़ी है| बिन जंजीरों के बेड़ियां बंध गईं, हर पद चाल की गति इसने धीमी की है। कैसी है यह एक पहेली, अपनों के लिए अपनों से जिसने बड़ा दी है दूरी|…

तुम हो तो

तुम हो तो जीवन है, तुम ही से तो जीवन है| छाया भी तुमसे, ठंडक भी तुमसे, आंखों को जो लुभाए, वो फूलों की बहार भी तुम से। तुम हो तो जीवन है, तुम ही से तो जीवन है, नदियों से जो वर्षा करें, ये जौहर भी तुम से, मिट्टी को जो उपजाऊ बनाए, वो शक्ति…

मेरा रूप

बहते पानी सा रूप है मेरा, तू मुझे समझ, ए नासमझ। नभ में भी मैं, धरा में भी मैं, इस नशवर शरीर के कण कण में भी मैं। मैं कोप में आऊ तो सबको बहा ले जाऊं, ठंडक देने पे आऊ, तो अग्नि को भी शान्त कर जाऊं। मैं मुश्किलों में रुकता नहीं, पत्थरों से…

कंगाल

खाली हाथ मेरे देख के, तू मुझे कंगाल ना समझ। अंखियों का धोखा है ये, माया का एक रूप नया।। मन में अंबार लगा है खुशियों का, जिसकी कोई कीमत ना। बंद आंखों से दिखेगा तुझको, गर तू भी उसकी इच्छा माने।।