एक वक्त था | There was a time!

एक वक्त था जब पेड़ की छांव में बैठे हुए हमसे पत्ते भी बातें करते थे  । जब देखते थे दुखी दिल हमारा झोली में गिर, हमें प्यार जताया करते थे । आज खो गए हैं हम कुछ इस कदर मोबाइल के इस शिकंजे में, कि याद ही नहीं आता कब मिलने गए थे हम…

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बुल्ले-शाह | Bulle- Shah

बरसों के बाद चमन में कुछ फूल खिले हैं अरसों के बाद मेरी झोपड़ में दीए जले हैं दशकों से जहां कोई चिंगारी तक नहीं दहकी आज वहां बिन मौसम ही सब तीज त्यौहार मने हैं बिन रूह के जैसे लिखने वाले एक अदने से शायर को  आज बुल्ले शाह मिले हैं

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आखिरी शाम | The Last Evening

किसे मालूम था कि जो चले गए आज उनकी यह आखिरी शाम थी घर से निकले थे, दो पल परिवार संग खुशियां बटोरने के लिए मन में उमड़ते श्रद्धा के फूल अपने आराध्य देव को समर्पित करने के लिए किसे मालूम था कि घर वापिसी नहीं होगी होगी तो बस अनंत की एक शुरुआत होगी

सपनों की दुनिया | World of Dreams

सपनों की दुनिया की बात ही कुछ निराली है, रुपयों का यहां कोई मोल नहीं एक मन की तमन्ना ही काफी है। इस दुनिया का कोई नियम नहीं, यह सबकी नींदों में आनी है। रात ढले, यह बस जाए, सुबह होते ही उजड़ जानी है यह सपनों की दुनिया है यहां जो चाहे.. वो राजा…

तारों से मिलना | Met the Stars

आज बहती हुई साफ हवा को शुक्रिया कहने का मौका मिला है। आसमां में छुपे, टिमटिमाते, चमक बिखेरते तारों का आज दीदार हुआ है। याद कर रहे थे जिन जा चुके अपनों को हम कब से लगता है, आज उन्हें भी, मन कर आया है मिलने का हमसे।

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Dhoondh Rahe Hain | Looking out for you

ढूंढ रहे हैं इस उम्मीद पर कि तेरा पता मिल जाये। पर आम लोगों को तो क्या, तेरा पता तो ऐसे लोग भी नहीं जानते जो तुझे जानने का पूरा पूरा दावा करते हैं। कहने का मतलब ये है दोस्तों कि अक्सर जिस इश्वरिये शक्ति को, जिस परम शक्ति को हम बाहर खोजने की कोशिश…

बारिश

ज़रा सी बारिश ने, मुरझाए हुए फूलों को महका दिया, धरती के सीने में जलती हुई आग को भुजा दिया, सुस्ता गए थे जो चहरे, उन्हें फिर से खुशहाल बना दिया।

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शक्ति

शक्ति… शक्ति हमारे मन में है, मन में उमड़ते विचारों में है। विचारों से बनते लक्ष्यों में है, लक्ष्यों को साधने के तरीकों में है। हर तरीके में छुपे तर्कों में है, तर्कों के पीछे की कहानियों में है। कहानियों में छुपे रहस्यों में है, रहस्यों को समझने की जिज्ञासाओं में है। जिज्ञासा के पीछे…

क्या हम साथ ना थे तब तुम्हारे?

जब तुम बचपन में झूठ बोलते, चोरी करते पकड़े जाते, और मां की मार से भी अक्सर बच जाते, क्या उस वक्त साथ नहीं थे हम तुम्हारे? जब तुम छोटी मोटी खुशियां मनाते, त्योहारों में अपने रूठे हुओं को मनाते, हर एक मन की इच्छा को मुराद बना पा जाते थे, क्या उस वक्त साथ…

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प्रेम विहीन जीवन

प्रेम विहीन जीवन, कठोर, दर्दमय, उदासीनता से भरपूर, कभी होता था मुश्किलों से भरा एक प्रश्न, पर आज नहीं रह गई है वो बात, एक प्रेमी बिन भी खुशहाल रहते हैं सब जनजात, किसी और से नहीं खुद से प्रेम करना है परमार्थ, क्योंकि स्वयं में ही तो विराजमान हैं हम सबके जगन्नाथ।