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प्रेम विहीन जीवन

प्रेम विहीन जीवन, कठोर, दर्दमय, उदासीनता से भरपूर, कभी होता था मुश्किलों से भरा एक प्रश्न, पर आज नहीं रह गई है वो बात, एक प्रेमी बिन भी खुशहाल रहते हैं सब जनजात, किसी और से नहीं खुद से प्रेम करना है परमार्थ, क्योंकि स्वयं में ही तो विराजमान हैं हम सबके जगन्नाथ।

भुलेखा

बादल की एक छोटी सी चीत्कार को, हम बारिश का पैग़ाम समझ बैठे। जलती हुईं लू के एक थपेड़े को, हम ठंडी हवा का झोंका समझ बैठे। बादलों से घिरे एक दूर के चमकते तारे को, हम ईंद का चांद समझ बैठे। जाते हुए कदमों की छटपटाहट को, हम उनके आते हुए क़दमों की आहट…

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दर्द

किसी को रुसवा कर डालूं, ऐसे मेरे शौक कहां| किसी को दिल का दर्द दे बैठूं, ऐसी मेरी ख्वाहिशें कहां| हम तो वो हैं जो दिल पर जख्म खाते हैं| जख्म खाकर भी, एक मुस्कान लिए कहते हैं, कि रब्बा, उसे कोई दर्द ना देना, मेरे इस दर्द के बदले में।

पलट

पलट, के तेरे चहरे पे एक मुस्कान और ला सकूं। पलट, के तेरी आँखों की उदासी मिटा सकूं, तेरी सांसों को और मेहका सकूं। पलट, के तुझे जीने का एक और कारण दे सकूं। पलट, के तुझ संग मरने का अपना जज्बा दिखा सकूं। पलट, के तेरी यादों में, मैं अपना फलसफा लिख सकूं। पलट,…

साजिश – कुछ ठीक करने की

मन से उनका हो ना पाना, मन में उनको बसा ना पाना, घूट घूट के निभाना उनका साथ, ना चाह के भी रहना उनके पास, जो मन में हो वो कह ना पाना, जो भी वो बोलें वो सुन ना पाना, दबते चले जाना उनकी उम्मीदों के तले, मरते चले जाना अपनी ख्वाहिशों के तले,…

जाहिर है, अब हम इश्क़ में हैं।

गर साथ किसी के बैठे हो, या साथी खुद को ही माना हो, बिन बात पर, हर बात पर, हम मंद मंद मुस्काते हैं, अब क्या ही बताएं हम तुमको यारों,  जाहिर है,अब हम इश्क़ में हैं। ना दिया तोहफा कभी हमने जग में, ना ही कभी एक पाया है, अब रोज बाज़ार जाते हैं, बिन कारण तोहफे लाते हैं, अब क्या ही बताएं हम तुमको…

आरजू थी

आरजू थी कि उनसे दिल हल्का करें, कुछ अपनी कहें, कुछ उनकी सुनें। कमबख़्त, वो हमें छोड़, किसी ओर के दर पे जा गिरे, तो अब हम क्या करें। आरजू थी कि उनके आशिक़ हो जायें, गम आध करें, नयन चार करें। वो, ‘आशिक़ हूँ मैं किसी ओर का ‘, यह कह चलें, दिल तोड़…