अधूरेपन की पहचान | Identification of incompleteness
अधूरेपन की पहचान कहीं मैं और तुम तो नहीं! मिल कर भी जो बिछड़ गए ये संयोग था या विधि का विधान! बिछड़ ही गए तो उसमें भी कुछ नया नहीं वो प्यार ही क्या जिसकी कोई जुदाई की दास्तां नहीं!
अधूरेपन की पहचान कहीं मैं और तुम तो नहीं! मिल कर भी जो बिछड़ गए ये संयोग था या विधि का विधान! बिछड़ ही गए तो उसमें भी कुछ नया नहीं वो प्यार ही क्या जिसकी कोई जुदाई की दास्तां नहीं!
ढूंढ रहे हैं इस उम्मीद पर कि तेरा पता मिल जाये। पर आम लोगों को तो क्या, तेरा पता तो ऐसे लोग भी नहीं जानते जो तुझे जानने का पूरा पूरा दावा करते हैं। कहने का मतलब ये है दोस्तों कि अक्सर जिस इश्वरिये शक्ति को, जिस परम शक्ति को हम बाहर खोजने की कोशिश…
आज की ये कविता उन लोगों के लिए जो खुद को अकेला समझ रहे हैं, खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। कविता, एक माध्यम है दिल के जज़्बातों को शब्दों के द्वारा बाहर लाने के लिए। उम्मीद है, ये कविता पढ़ कर कोई इससे खुद को जोड़ पायेगा। ऐसा हो जाये, तो मैं…
अक्सर फुरसत में बैठें बैठें, यह सोचना चाहा है, की आखिर इन टेढ़ी मेढ़ी, गाढ़ी फीखी लकीरों का राज क्या है, क्यों ये कहीं से शुरू होती हैं, क्यों ये अचानक कहीं रुक जाती हैं, क्यों ये एक समान नहीं हैं, क्यों ये तेरे जैसी नहीं हैं, किस स्याही से आखिर लिखीं हैं ये, जो…