अधूरेपन की पहचान | Identification of incompleteness
अधूरेपन की पहचान कहीं मैं और तुम तो नहीं! मिल कर भी जो बिछड़ गए ये संयोग था या विधि का विधान! बिछड़ ही गए तो उसमें भी कुछ नया नहीं वो प्यार ही क्या जिसकी कोई जुदाई की दास्तां नहीं!
अधूरेपन की पहचान कहीं मैं और तुम तो नहीं! मिल कर भी जो बिछड़ गए ये संयोग था या विधि का विधान! बिछड़ ही गए तो उसमें भी कुछ नया नहीं वो प्यार ही क्या जिसकी कोई जुदाई की दास्तां नहीं!
रेलगाड़ी से जाते वक्त तेरे शहर के नाम का बोर्ड पड़ मन ही मन मुस्कुराना एक आदत सी थी… करना ही है! जैसे सुबह उठकर भगवान का शुक्रिया… करना ही है। पर जबसे मोदी और योगी शहरों के नाम बदल रहें हैं लगता है… आदत से छुटकारा मिलेगा!
बहते हुए आसूं भी मेरे उस पत्थर दिल को पिघला ना सके जिसने दिल से ही निकाल दिया उसकी आंखों में इज्जत हम पा न सके हाथ उठाया था उसने इस जिस्म पर पर ज़ख्म मिले मुझे इस दिल पर वादा है ये अब खुद से अपनी आन का मान रखेंगे वो चाहे अब पैरों…
तेरे दिए घाव दर्द दे रहे हैं पर इन्हें नासूर नहीं बनने दूंगी मैं। इस दर्द से मजबूत बन इन्हीं घावों को खुद ही भर लूंगी मैं। तू मेरी छोड़, अपना ध्यान रखना! कहीं मुझे घाव देने की वजह से तू अपना नुकसान ना कर लेना।
अमावस की काली रात थी, ना कहीं रोशनी, ना कोई आवाज़ थी। इतने में एक आघात हुआ, किसी का दिल टूटा, इसका पूर्ण एहसास हुआ। देख नहीं पाया मैं आंसूओं की धारा, पर उस पल से ही बदल गया मेरा जीवन सारा। ढूंढने जो निकला तो कुछ नज़र ना आया समझ चुका था मैं कि…
तेरी याद में अक्सर हम तेरी गलियों से गुजरा करते हैं। कहीं से भी तू दिख जाए, ये मन में कामना किए चलते हैं। पर मन में डर भी होता है कि तू सामने आ जाएगी तो क्या करेंगे! तुझे देख कर भी अनदेखा तो हम कर नहीं पाएंगे, पर ये नौबत ही कभी नसीब…
ऐसे लोगों के लिए है जो किसी अपने से ही धोखा खा लेते हैं। जो उस शख्स के लिए अब भी ‘मेरे अपने’ शब्दों का इस्तेमाल करते हैं और कहते हैं कि मेरे अपने ने ही मुझे धोखा दिया। किसी पर विश्वास करना इंसानी फितरत का एक हिस्सा है, हम सब करते हैं। विश्वास करना…
ढूंढ रहे हैं इस उम्मीद पर कि तेरा पता मिल जाये। पर आम लोगों को तो क्या, तेरा पता तो ऐसे लोग भी नहीं जानते जो तुझे जानने का पूरा पूरा दावा करते हैं। कहने का मतलब ये है दोस्तों कि अक्सर जिस इश्वरिये शक्ति को, जिस परम शक्ति को हम बाहर खोजने की कोशिश…
आज की ये कविता उन लोगों के लिए जो खुद को अकेला समझ रहे हैं, खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। कविता, एक माध्यम है दिल के जज़्बातों को शब्दों के द्वारा बाहर लाने के लिए। उम्मीद है, ये कविता पढ़ कर कोई इससे खुद को जोड़ पायेगा। ऐसा हो जाये, तो मैं…
मैंने पहले ही कहा था संभल जाओ, नहीं तो पिट जाओगे । मत आओ मेरे पीछे कि भाइयों की नज़र में अड़ते हो तुम पहले से ही, नहीं सुना ना मेरा तुमने, अब पड़ गई ना लातें और घूंसे ! मैंने पहले ही कहा था संभल जाओ, नहीं तो पिट जाओगे ।