Mere Apne | My Own People
ऐसे लोगों के लिए है जो किसी अपने से ही धोखा खा लेते हैं। जो उस शख्स के लिए अब भी ‘मेरे अपने’ शब्दों का इस्तेमाल करते हैं और कहते हैं कि मेरे अपने ने ही मुझे धोखा दिया।
किसी पर विश्वास करना इंसानी फितरत का एक हिस्सा है, हम सब करते हैं। विश्वास करना ज़रूरी भी है, नहीं तो रिश्तों में अपनापन कभी आ ही नहीं सकता। पर अक्सर जिन भावनाओं को हम दूसरे तक पहुंचाते है, वैसी भावनाएं हमें वहां से नहीं मिलती, वैसे विश्वास नहीं मिलता। कई बार लोग हमें धोखा दे देते हैं, हमें मूर्ख समझ कर हमारी चुप्पी का फायदा उठाते हैं।
आज की यह कविता उन्ही धोखा खाये लोगों के लिए, उनकी भावनाएं बाहर निकालने की एक छोटी सी कोशिश। आशा करती हूँ कि आपको कभी इस तरह के दिन न देखने पड़े। परन्तु अगर आपके साथ ऐसा हो चुका है तो उम्मीद करती हूँ कि इस कविता से आप खुद को जोड़ पायेंगे।
जिन लोगों को मैंने पहाड़ों की हवा की तरह निर्मल और सुकून भरा पाया... उन्हीं लोगों ने मेरी जिंदगी में अशांति का विष घोलना चाहा । जिन लोगों को मैंने झरने के पानी की तरह साफ और मीठा पाया... उन्हीं लोगों ने मेरी जिंदगी में बदनामी का कीचड़ उछालना चाहा ।