Life is not a race | Zindagi – Koi Peeche Nahin Hai

दोस्तों, मन किया कि कुछ ज़िन्दगी के बारें में लिखा जाये। जिस तरह से आजकल हम अपनी ज़िन्दगी जी रहे हैं, उसको शब्दों में उकेरा जाये। कुछ अच्छा करें तो हमारी ख़ुशी कुछ एक-दो दिन के लिए टिक जाती है पर ज्यादातर हम खुद को दूसरों से कम आंक कर अपने आप को दुखी करते रहते हैं।

दोस्तों, ज़िन्दगी – मुश्किल है, लेकिन उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत है। ज़िन्दगी हमें हज़ारों मौके देती है कुछ करने के लिए, कुछ बनने के लिए। हम में से कुछ लोग इन मौकों का फायदा उठा पाते हैं परन्तु कुछ लोग ऐसा नहीं कर पाते। जो लोग किसी कारणवश आगे नहीं बढ़ पाते, वो कई बार कुंठाग्रस्त हो जाते हैं, खुद को दूसरों से कमतर आंकने लगते हैं, जो कि बिलकुल गलत है। इन लोगों को ये समझने कि आवश्यकता है कि बेशक वो कुछ सैकड़ों से पीछे हों, परन्तु वो कुछ हज़ारों से यक़ीनन आगे भी होंगे।

नीचे लिखी गई मेरी ये छोटी सी कविता उन जैसे लोगों के लिए ही है जिन्हें बस थोड़े से प्रोत्साहन की आवश्यकता है। उम्मीद है पढ़ने वालों को ये पसंद आएगी।

नोट: ये कविता मुझे भी अक्सर बहुत प्रोत्साहित करती है क्योंकि सोशल मीडिया के आज कल के ज़माने में आप न चाहते हुए भी दूसरों से खुद की अक्सर तुलना कर लेते है। ऐसे में, थोड़ा हतोत्साहित होना स्वाभाविक है। परन्तु कोशिश कीजिये कि नकरात्मक विचारों से खुद को दूर ही रखिये।


ये जिन्दगी है...
यहां कोई किसी से पीछे नहीं।

जो तुमसे पीछे दिख रहा है, वो भी हजारों से आगे है,
जो तुम ऊंचाई से देखो तो तुम भी लाखों से पीछे हो,
ये जिन्दगी है...
यहां कोई किसी से पीछे नहीं।

तुम धरती का एक चांद नहीं, मन्दाकिनी का एक तारा हो,
खुद में तुम कोई झरना नहीं, सागर की एक बूंद भर हो,
तुम सबसे आगे नहीं, तुम सबके बीच में हो,
ये जिन्दगी है...
यहां कोई किसी से पीछे नहीं।

जिस दौड़ में तुम भाग रहे हो, 
हर कोई उस दौड़ का हिस्सा नहीं,
यहां सब की बस खुद से ही दौड़ है,
किसी को किसी से कुछ शिकवा नहीं,
ये जिन्दगी है...
यहां कोई किसी से पीछे नहीं।

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