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दर्द


किसी को रुसवा कर डालूं, 
ऐसे मेरे शौक कहां|

किसी को दिल का दर्द दे बैठूं, 
ऐसी मेरी ख्वाहिशें कहां|

हम तो वो हैं जो 
दिल पर जख्म खाते हैं|

जख्म खाकर भी, 
एक मुस्कान लिए कहते हैं,

कि रब्बा, उसे कोई दर्द ना देना,

मेरे इस दर्द के बदले में।

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