भुलेखा


बादल की एक छोटी सी चीत्कार को,
हम बारिश का पैग़ाम समझ बैठे।


जलती हुईं लू के एक थपेड़े को, 
हम ठंडी हवा का झोंका समझ बैठे।


बादलों से घिरे एक दूर के चमकते तारे को, 
हम ईंद का चांद समझ बैठे।


जाते हुए कदमों की छटपटाहट को, 
हम उनके आते हुए क़दमों की आहट समझ बैठे।


बैखौफ बच्चे सी उनके चेहरे की मासूमियत को, 
हम उनके दिल का मर्म समझ बैठे।


होठों पर उनके आई हुई एक मुस्कान को, 
हम उनके इश्क़ का इकरार समझ बैठे।

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