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प्यार का इज़हार | Confession of Love


प्यार का इज़हार कर चुके हो तो, अच्छा है!
दिल की रजा होठों पर ला चुके हो तो, अच्छा है!
प्यार का कबूलनामा मिले न मिले
दुआओ में अपनी उन्हें जगह दे चुके हो तो, अच्छा है!

तेरे आने की उम्मीद ना ही करूं, तो अच्छा होगा
तू जहां रहे वहां खुश रहे, ये मेरे लिए भी अच्छा होगा
किस तरह का प्यार है ये मेरा, तेरे लिए,
ये दुनिया ना ही समझने की कोशिश करे तो अच्छा होगा!

वो रात बीत गई, तुम किधर थे
अरमां जल कर ख़ाक हुए, तुम किधर थे
वादा था तुम्हारा सात जन्मों तक साथ निभाने का
अग्नि के जब फेरे लिए मैंने, तुम किधर थे!

पत्थर को पिघलाने चले थे
मोम से औजार बनाने चले थे
टूटी सब उम्मीदें मेरी ऐसी
कि अब ख़ुद को ही हम
दुनिया के सब सबक सिखाने बैठे।

तूने हाथ पकड़ कर ना रोका होता
तो कर दिया था बवाल मैंने! 
दुनिया भी देख लेती
कितनी ताकत है इस
आशिक में तेरे!

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