जाहिर है, अब हम इश्क़ में हैं।


गर साथ किसी के बैठे हो, 
या साथी खुद को ही माना हो,
बिन बात पर, हर बात पर, 
हम मंद मंद मुस्काते हैं,

अब क्या ही बताएं हम तुमको यारों, 
जाहिर है,अब हम इश्क़ में हैं।

ना दिया तोहफा कभी हमने जग में, 
ना ही कभी एक पाया है,
अब रोज बाज़ार जाते हैं, 
बिन कारण तोहफे लाते हैं,

अब क्या ही बताएं हम तुमको यारों, 
जाहिर है,अब हम इश्क़ में हैं।

ना हमसे कोई खफा हुआ, 
ना हम किसी से जुदा हुए,
ना जाने क्यों फिर भी एक दिन, 
हम बुझे बुझे से रहते हैं,

अब क्या ही बताएं हम तुमको यारों, 
जाहिर है,अब हम इश्क़ में हैं।

ना देखा था खुद को कभी ढंग से, 
ना संवारा खुद को कभी मन से,
अब दिखते हैं हम ठाठ में, 
हर दिन एक नए अंदाज़ में,

अब क्या ही बताएं हम तुमको यारों, 
जाहिर है,अब हम इश्क़ में हैं।

एक पैसा कभी बचाया ना था, 
ना जमा किया था कभी कोई धेला,
अब रोज़ दिमाग दौड़ाते हैं, 
कि कहां से लाएं एक नया रुपैया,

अब क्या ही बताएं हम तुमको यारों, 
जाहिर है, अब हम इश्क़ में हैं।

चली जाती थी कभी जान, 
कुछ दोस्तों को चाय पिलाने में,
तंज भर भी अब नहीं मलाल, 
रोज़ इफ्तार लगाने में,

अब क्या ही बताएं हम तुमको यारों, 
जाहिर है,अब हम इश्क़ में हैं।

कभी तानपुरे की तारें तोड़ना, 
कभी बदरंगी से चित्र बनाना,
उनको रिझाने की चाहत में, 
हर शौक नया आजमाते हैं,

अब क्या ही बताएं हम तुमको यारों, 
जाहिर है,अब हम इश्क़ में हैं।

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