एक वक्त था | There was a time!


एक वक्त था
जब पेड़ की छांव में बैठे हुए हमसे
पत्ते भी बातें करते थे  ।
जब देखते थे दुखी दिल हमारा
झोली में गिर, हमें प्यार जताया करते थे ।

आज खो गए हैं हम कुछ इस कदर
मोबाइल के इस शिकंजे में,
कि याद ही नहीं आता
कब मिलने गए थे हम अपने उन हरियाली मित्रों से ।

कहते हैं प्रकृति माफ करती है,
आज आए हैं हम इस पेड़ के नीचे
कि सुन लें इनकी भी थोड़ी जली कटी
आशा है फिर ये मान जायेंगे ।
एक बार फिर हमें, बाहों में समेट
ठंडी हवा की झोंको में सुलाएंगे ।

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